Property of Charge (आवेश के गुण)
What is Charge (आवेश क्या है?)
यह एक साधारण अनुभव की बात है कि जब दो वस्तुओं को आपस में रगड़ा जाता है तो वे दोनों वस्तुएं हल्के पदार्थों जैसे कागज़ के टुकड़े को आकर्षित करने लगती है।इस प्रकार की घटना सबसे पहले यूनान के दार्शनिक Thales ने देखी उन्होंने पाया की यदि अंबर नामक पदार्थ को ऊन से रगड़ा जाए तो उसमें हल्की वस्तु को आकर्षित (attraction) करने का गुण जाता है और इसी गुण के कारण वस्तु आवेशित कही जाती।
वैसे तो आवेश को कहीं परिभाषित नहीं किया गया है लेकिन अगर सामान्य शब्दों में कहा जाए तो आवेश पदार्थ का एक गुण (property) है जिसके कारण वह कुछ वस्तुओं को अपनी और आकर्षित (Attractive) करता है तथा कुछ वस्तुओं को प्रतिकर्षित (Repulsive) करता है ।
जो वस्तुएं आपस में प्रतिकर्षित होती है उनमें समान आवेश (Same charge) पाया जाता है तथा जो वस्तुएं आपस में आकर्षित होती है उन पर विपरीत आवेश (Opposite Charge) पाया जाता है आवेश दो प्रकार का होता है (+)धन आवेश एवं (-)ऋण आवेश।
यदि ईबोनाइट की दो छड़ों को बिल्ली की खाल से अलग अलग रगड़ा जाता है तो दोनों छड़े आवेशित हो जाती है तथा पास लाने पर एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं, दूसरी तरफ यदि कांच की छड़ों को रेशम से अलग अलग रगड़ा जाए तो दोनों छड़े आवेशित हो जाती हैं तथा निकट लाने पर एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं।
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अब यदि बिल्ली की खाल से रगड़ी गई इबोनाइट की छड़ तथा रेशम से रगड़ी गयी काँच की छड़, दोनों को निकट लाया जाए तो एक दूसरे को आकर्षित करती है। इसका अर्थ है कि इन दोनों छड़ो में विपरीत आवेश आ गया है।
इस प्रकार एक को धन आवेश माना जाता है तथा दूसरे को ऋण आवेशित माना जाता है।
एक बात ध्यान देने योग्य है की किसी वस्तु के विद्युतीकरण (आवेशित) होने के लिए उत्तरदाई इलेक्ट्रॉन (electron) है, प्रोटॉन (proton) नहीं क्योंकि इलेक्ट्रॉन नाभिक से बाहर परमाणु की कक्षाओं में घूमते रहते हैं और इन्हें अलग करना आसान है, जबकि प्रोटॉन नाभिक के भीतर प्रबल नाभिकीय बलों द्वारा बंधे रहते हैं जिसे हटाना अत्यंत कठिन होता है ।
अतः यदि किसी परमाणु में या किसी वस्तु में इलेक्ट्रॉनों की कमी होती है तो वस्तु मैं धन आवेश आ जाता है और अगर वस्तु में इलेक्ट्रॉनों की अधिकता हो जाती हैं तो वस्तु ऋण आवेशित हो जाती हैं।
Properties of charges (आवेश के गुण)
1.विद्युत प्रेरण (Electrical Induction)
प्रत्येक आवेशित वस्तु (धनावेशित अथवा ऋणावेशित) उदासीन वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है जिसे विद्युत प्रेरण कहते हैं।2.आकर्षण तथा प्रतिकर्षण(Attraction and repulsion)
दो अलग-अलग प्रकार के आवेशों में हमेशा आकर्षण होता है तथा दो समान प्रकार के आवेशों के बीच हमेशा प्रतिकर्षण पाया जाता है जैसे दो धन आवेशों में प्रतिकर्षण तथा एक धन एवं एक ऋण आवेश में हमेशा आकर्षण होता है।3. आवेशों के योग का गुण(additive property of charge)
किसी निकाय का कुल आवेश अलग अलग आवेशों के बीजीय योग के बराबर होता है यदि निकाय में अलग अलग आवेश क्रमशः e, 2e, -4e, 3e हों तो कुल आवेश (Q= e+2e-4e+3e=-2e)4. आवेश का संरक्षण (Conservation of charge)
आवेश को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है आवेश का तो केवल एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरण किया जा सकता है यही आवेश के संरक्षण का सिद्धांत कहलाता है।5. आवेश की मात्रा पर वेग का प्रभाव
आवेश की मात्रा पर वेग का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है उदाहरण के लिए इलेक्ट्रॉन पर आवेश (1.6×10^-19 ) भले ही उस का वेग कितना भी क्यों ना हो।6. आवेश का क्वांटम प्रकृति :-मूल आवेश (Quantum nature of charge:- Fundamental Charge)
हम जानते हैं कि किसी वस्तु पर आवेश की उत्पत्ति का कारण उस वस्तु पर इलेक्ट्रॉनों की कमी या अधिकता के कारण होता है इलेक्ट्रॉन को और छोटे-छोटे कणों में विभाजित नहीं किया जा सकता है ।अतः किसी वस्तु पर आवेश इलेक्ट्रॉन पर आवेश के परिमाण के पूर्ण गुणज (Multiple Integral) के बराबर होता है, इलेक्ट्रॉन पर आवेश के परिमाण को ही मूल आवेश कहा जाता है और इसे e प्रकट करते हैं।
इसी को आवेश का प्रमाणुकता का सिद्धांत या क्वांटम सिद्धांत कहा जाता है इस सिद्धांत के अनुसार आवेश के सभी मान संभव नहीं है बल्कि मूल आवेश के गुणा के रुप में जो मान है वही संभव है अतः आवेश के संभावित मान e, 2e, 3e,4e,5e,6e........होंगे। अतः (q=ne)
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