कार्य ऊर्जा और शक्ति Work Energy and Power
कार्य Work
सामान्यतः हम दिनभर में जो कुछ भी करते हैं हम उसे कार्य का नाम दे देते हैं अगर मैं खाना खाता हूँ या मैं चाहता हूँ या मैं गाना गाता हूँ तो ये सभी कार्य ही है।परन्तु भौतिकी के अनुसार कार्य work का विशेष अर्थ है भौतिकी मे किसी वस्तु पर कोई बल लग रहा है, और यदि उस बल द्वारा वस्तु विस्थापित होती है तो उसे कार्य कहा जाता है।
इस लेख में work energy and power के बारे में जानेंगे
किसी वस्तु पर जितना अधिक बल लगाया जाता है तथा उससे वस्तु जितनी अधिक विस्थापित होती है, कार्य उतना ही अधिक होता है। अत: कार्य की माप आरोपित बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होती है। अर्थात्
कार्य = बल × बल की दिशा में विस्थापन
यदि किसी वस्तु पर आरोपित बल F और इस बल के द्वारा बल की दिशा में विस्थापन ∆S हो तो, वस्तु पर किया गया कार्य
W = F × ∆S
परन्तु यह जरुरी नहीं कि वस्तु का विस्थापन सदैव बल की दिशा में होगा यदि वस्तु का विस्थापन बल की दिशा से θ कोण बनाता है तो वस्तु पर किया गया कार्य इस प्रकार होगा
W= FScosθ
कार्य एक अदिश राशि है जिसे बल और विस्थापन के अदिश गुणन के रूप में प्रदर्शित करते हैं तब कार्य का सही सूत्र।इस प्रकार होगा
W = f.s
W = f.scosθ
--------------------------------------------------
Work Energy and Power - कार्य ऊर्जा और शक्ति
--------------------------------------------------
कार्य के प्रकार Types of work
कार्य तीन प्रकार के होते हैं।
(1) शून्य कार्य Zero Work
कार्य के सूत्र W = fscosθ से zero work के लिए तीन condition हो सकती है।(a) यदि बल शून्य हो if force is zero
यदि कोई वस्तु नियत वेग से किसी घर्षणरहित पृष्ठ पर चल रही है तो उस पर कोई त्वरण उत्पन्न नहीं होगा जिसके कारण वस्तु पर कोई बल कार्य नही करेगा, अतः वस्तु पर किया गया कार्य zero होगा।
(b) यदि विस्थापन शून्य हो if displacement is zero
यदि किसी वस्तु का विस्थापन शून्य हो तो भी वस्तु पर कार्य करने वाला बल शून्य ही होता है। उदाहरण के लिये यदि एक दीवार पर बल लगाया जाए और दीवार स्थिर ही रहे भले मनुष्य को कितनी ही थकान का अनुभव हो पर दीवाल का विस्थापन शून्य है जिससे दीवार पर किया गया कार्य zero होगा।
यह भी पढ़े
📂सदिश और अदिश राशियां और निरूपण
(c) यदि बल एवं विस्थापन लम्बवत हो ( या कार्य के सूत्र में तीसरा पद cos = 0º हो ) if force and displacement is perpndicular
यदि बल एवं विस्थापन के बीच कोण = 90º हो तो cos90º = 0 तो किया गया कार्य भी zero होगा।
उदाहरण के लिए, एक कुली भारी बोझ को अपने सिर पर लेकर क्षैतिज तल पर जाता है तो बोझ द्वारा लगाया गया बल नीचे की और लगता है जबकि विस्थापन चित्र की भाँति आगे की ओर
होता है, बल ओर विस्थापन के बीच बनने वाला कोण 90⁰ है जिससे कुली द्वारा कृत कार्य शून्य होगा।
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी का घूमना भी zero work का उदाहरण है इसमें लगाने वाला अभिकेंद्र बल सूर्य की ओर अर्थात केंद्र की ओर लग रहा है जबकि पृथ्वी की गति इसके लंबवत है।
अतः zero work के लिए या तो F = 0, अथवा S = 0, या F एवं S के बीच बनने वाला कोण 90º होना चाहिये।
किसी वस्तु पर लगाया गया बाह्य बल धनात्मक होता है।
उदाहरण के लिए घर्षण बल friction force द्वारा कृत कार्य ऋणात्मक होता है।
जब किसी वस्तु किसी खुरदुरे पृष्ठ पर विस्थापित किया जाता है तो घर्षण बल और विस्थापन के बीच बनने वाला कोण 180 होता है cos180º का मान -1 होता है जिससे किया गया कार्य negative होता है।
-------------------------------------------------- Work Energy and Power - कार्य ऊर्जा और शक्ति
--------------------------------------------------
1 जूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर
C.G.S. पद्धति में कार्य का मात्रक अर्ग होता है
1 अर्ग = 1 डाइन × 1 सेंटीमीटर
1 जूल = 10 अर्ग
यदि बल परिवर्ती हो तो परिवर्ती बल द्वारा कृत कार्य समकाल के रूप में लेते है, माना बल x निर्देशांक के साथ परिवर्तित होता है तो परिवर्ती बल F(x) तो इस बल द्वारा किया गया कार्य।
परन्तु हम जानते हैं कि dW = fds
कार्य का मात्रक जूल एवं समय का मात्रक सेकेण्ड इसलिये शक्ति P = जूल/सेकेण्ड = वॉट
अर्थात 1 वॉट वह शक्ति है जो 1 जूल का कार्य 1 सेकेण्ड में करती है।
शक्ति का बड़ा मात्रक अश्व शक्ति Horse Power है
1 H.P = 746 watt
शक्ति का विमीय सूत्र [ML²T⁻³]
-------------------------------------------------- Work Energy and Power - कार्य ऊर्जा और शक्ति
--------------------------------------------------
बिना ऊर्जा के कोई कार्य करना सम्भव नहीं है और ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भी कार्य करना जरूरी होता है, हम भोजन करके ऊर्जा प्राप्त करते हैं और उसी ऊर्जा का उपयोग करकेकोई कार्य करते हैं। अतः हम यह कह सकते है कि प्रत्येक कार्य करने वाली वस्तु में कुछ न कुछ ऊर्जा होती है।
ऊर्जा का मात्रक भी कार्य।के मात्रक के समान जूल ही है क्योंकि ऊर्जा और कार्य को एक दूसरे के रूप।में रूपांतरित किया जा सकता है।
ऊर्जा के अनेक रूप हैं जैसे यांत्रिक ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा, चुम्बकीय ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, यहाँ पर यांत्रिकी भौतिकी के बारे में बात की गई है इसलिए यांत्रिकी ऊर्जा के बारे में बात करेंगे।
यांत्रिकी ऊर्जा दो प्रकार की होती है।
बंदूक से निकली गोली, चलती हुई गाड़ी, घूमते हुए पँखे सभी में गतिज ऊर्जा होती है।
यदि किसी गतिमान m द्रव्यमान वाली वस्तु का वेग v हो तो उस वस्तु की गतिज ऊर्जा
किसी वस्तु की स्थिति के कारण उत्पन्न ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
इसमे वस्तु की विशेष स्थिति होने के कारण वस्तु में कार्य करने की क्षमता उत्पन्न होती है
स्थितिज ऊर्जा के कई रूप होते हैं, जैसे- प्रत्यास्थ स्थितिज उर्जा, गुरुत्वीय स्थितिज उर्जा, वैद्युत स्थितिज उर्जा, चुम्बकीय ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा आदि।
माना m द्रव्यमान का कोई पिण्ड पृथ्वी तल से h ऊँचाई तक उठाया जाता है, तो वस्तु की स्थितिज ऊर्जा = वस्तु को गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध h ऊचांई तक उठाने में किया गया कार्य
यही कार्य गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहता है।
इस विषय से सम्बंधित यदि आपका कोई सवाल है तो आप नीचे Comment में लिख सकते हैं।
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
यह भी पढ़े
(c) यदि बल एवं विस्थापन लम्बवत हो ( या कार्य के सूत्र में तीसरा पद cos = 0º हो ) if force and displacement is perpndicular
यदि बल एवं विस्थापन के बीच कोण = 90º हो तो cos90º = 0 तो किया गया कार्य भी zero होगा।
उदाहरण के लिए, एक कुली भारी बोझ को अपने सिर पर लेकर क्षैतिज तल पर जाता है तो बोझ द्वारा लगाया गया बल नीचे की और लगता है जबकि विस्थापन चित्र की भाँति आगे की ओर
होता है, बल ओर विस्थापन के बीच बनने वाला कोण 90⁰ है जिससे कुली द्वारा कृत कार्य शून्य होगा।
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी का घूमना भी zero work का उदाहरण है इसमें लगाने वाला अभिकेंद्र बल सूर्य की ओर अर्थात केंद्र की ओर लग रहा है जबकि पृथ्वी की गति इसके लंबवत है।
अतः zero work के लिए या तो F = 0, अथवा S = 0, या F एवं S के बीच बनने वाला कोण 90º होना चाहिये।
(2) धनात्मक कार्य Positive work
Cosθ का मान [ +1 से -1 तक होता है ] यदि बल एवं विस्थापन के बीच कोण न्यून कोण हो तो cosθ का मान धनात्मक होगा जिससे कार्य भी धनात्मक होगा। (0<θ<90ᵒ)किसी वस्तु पर लगाया गया बाह्य बल धनात्मक होता है।
(3) ऋणात्मक कार्य Negative work
यदि बल एवं विस्थापन के बीच कोण अधिक कोण हो तो cosθ का मान ऋणात्मक होगा ( 90ᵒ<θ≤180ᵒ) जिससे कृत कार्य भी ऋणात्मक होगा।उदाहरण के लिए घर्षण बल friction force द्वारा कृत कार्य ऋणात्मक होता है।
जब किसी वस्तु किसी खुरदुरे पृष्ठ पर विस्थापित किया जाता है तो घर्षण बल और विस्थापन के बीच बनने वाला कोण 180 होता है cos180º का मान -1 होता है जिससे किया गया कार्य negative होता है।
-------------------------------------------------- Work Energy and Power - कार्य ऊर्जा और शक्ति
--------------------------------------------------
कार्य का मात्रक Unit of work
कार्य का S.I मात्रक जूल है,1 जूल वह कार्य है जब 1 न्यूटन का बल वस्तु को बल की दिशा में 1 मीटर विस्थापित कर दे।1 जूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर
C.G.S. पद्धति में कार्य का मात्रक अर्ग होता है
1 अर्ग = 1 डाइन × 1 सेंटीमीटर
1 जूल = 10 अर्ग
यदि बल परिवर्ती हो तो परिवर्ती बल द्वारा कृत कार्य समकाल के रूप में लेते है, माना बल x निर्देशांक के साथ परिवर्तित होता है तो परिवर्ती बल F(x) तो इस बल द्वारा किया गया कार्य।
W = F(x)dx
सामर्थ्य Power शक्ति
किसी मशीन द्वारा प्रति सेकेण्ड किये गए कार्य को शक्ति कहते हैं अथवा कार्य करने की समय दर को सामर्थ्य कहते हैं।
P = dW/dt
जहाँ dt सूक्ष्म समय मे किया गया कृत कार्य dWपरन्तु हम जानते हैं कि dW = fds
P = f.ds/dt
F. ds/dt
F.v
शक्ति का मात्रक Unit of power
P = W/t सेकार्य का मात्रक जूल एवं समय का मात्रक सेकेण्ड इसलिये शक्ति P = जूल/सेकेण्ड = वॉट
अर्थात 1 वॉट वह शक्ति है जो 1 जूल का कार्य 1 सेकेण्ड में करती है।
शक्ति का बड़ा मात्रक अश्व शक्ति Horse Power है
1 H.P = 746 watt
शक्ति का विमीय सूत्र [ML²T⁻³]
-------------------------------------------------- Work Energy and Power - कार्य ऊर्जा और शक्ति
--------------------------------------------------
ऊर्जा Energy
किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।बिना ऊर्जा के कोई कार्य करना सम्भव नहीं है और ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भी कार्य करना जरूरी होता है, हम भोजन करके ऊर्जा प्राप्त करते हैं और उसी ऊर्जा का उपयोग करकेकोई कार्य करते हैं। अतः हम यह कह सकते है कि प्रत्येक कार्य करने वाली वस्तु में कुछ न कुछ ऊर्जा होती है।
ऊर्जा की माप Amount of energy
किसी भी ऊर्जा की माप उस कार्य से की जाती है जो वह शून्य ऊर्जा वाली स्थिति में आने तक करती है। अतः वस्तु द्वारा किया गया कार्य ही ऊर्जा की माप है।ऊर्जा का मात्रक भी कार्य।के मात्रक के समान जूल ही है क्योंकि ऊर्जा और कार्य को एक दूसरे के रूप।में रूपांतरित किया जा सकता है।
ऊर्जा के अनेक रूप हैं जैसे यांत्रिक ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा, चुम्बकीय ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, यहाँ पर यांत्रिकी भौतिकी के बारे में बात की गई है इसलिए यांत्रिकी ऊर्जा के बारे में बात करेंगे।
यांत्रिकी ऊर्जा दो प्रकार की होती है।
(1) गतिज ऊर्जा। (2) स्थितिज ऊर्जा
यान्त्रिकी ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा
गतिज ऊर्जा Kinetic Energy
किसी वस्तु की गति के कारण उसमे संचित ऊर्जा गतिज ऊर्जा कहलाती है।बंदूक से निकली गोली, चलती हुई गाड़ी, घूमते हुए पँखे सभी में गतिज ऊर्जा होती है।
यदि किसी गतिमान m द्रव्यमान वाली वस्तु का वेग v हो तो उस वस्तु की गतिज ऊर्जा
K = 1/2mv²
Potential Energy स्थितिज ऊर्जा
किसी वस्तु की स्थिति के कारण उत्पन्न ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।इसमे वस्तु की विशेष स्थिति होने के कारण वस्तु में कार्य करने की क्षमता उत्पन्न होती है
स्थितिज ऊर्जा के कई रूप होते हैं, जैसे- प्रत्यास्थ स्थितिज उर्जा, गुरुत्वीय स्थितिज उर्जा, वैद्युत स्थितिज उर्जा, चुम्बकीय ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा आदि।
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा Gravitational potential energy
किसी वस्तु को गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध ऊपर उठाने में किया गया कार्य गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होता है ।माना m द्रव्यमान का कोई पिण्ड पृथ्वी तल से h ऊँचाई तक उठाया जाता है, तो वस्तु की स्थितिज ऊर्जा = वस्तु को गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध h ऊचांई तक उठाने में किया गया कार्य
= F × h
= mg × h ( F = mg, g = गुरुत्वीय त्वरण)
= mgh
इस विषय से सम्बंधित यदि आपका कोई सवाल है तो आप नीचे Comment में लिख सकते हैं।
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
यह भी पढ़े
- 📂गति के 10 प्रकार
- 📂प्रक्षेप्य गति और समीकरण
- 📂 Learn Class 11th Physics
- 📂Learn Class 12th Physics
- 📂कूलाम का नियम
- 📂सदिश और अदिश राशियां और निरूपण
Post a Comment
Post a Comment